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कूड़े के पास क्यों जलाया जाता है दीपक? छोटी दिवाली की इस परंपरा के पीछे छिपा है बड़ा राज़

दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली छोटी दिवाली या रूप चौदस हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र मानी जाती है। इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व दोनों ही बहुत गहरा है। इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है और यह त्योहार न केवल रूप-सौंदर्य बल्कि आत्मिक शुद्धि का प्रतीक भी है।

स्कंद, पद्म और भविष्य पुराण के अनुसार, रूप चौदस के दिन सूर्योदय से पहले उठकर उबटन और तिल का तेल लगाकर स्नान करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है। गृहिणियां इस दिन विशेष रूप से उबटन लगाकर स्नान करती हैं और लक्ष्मी पूजन से पहले गृहलक्ष्मी का श्रृंगार करती हैं। मान्यता है कि जिस दिन साक्षात लक्ष्मी जी घर में आने वाली हों, उस दिन अपने स्वरूप को निखारना शुभ होता है।

नरक चतुर्दशी पर यम दीपक जलाने का महत्व
नरक चतुर्दशी पर यम दीपक जलाने का महत्व

इस दिन हनुमान जी, भगवान कृष्ण और यमराज की पूजा का विशेष महत्व है। सुबह स्नान के बाद लाल कपड़े पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित कर हनुमान चालीसा का पाठ और हलवे का भोग लगाया जाता है। इसके बाद भगवान कृष्ण की आरती की जाती है।

शाम के समय यम दीपक जलाने की परंपरा है। इसे घर के मुख्य द्वार के बाहर, दक्षिण दिशा की ओर रखकर जलाया जाता है क्योंकि यह दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है। दीपक में सरसों का तेल डालना और चार बत्तियां लगाना शुभ माना जाता है, जो जीवन की चार दिशाओं में प्रकाश फैलाने का प्रतीक है।

कूड़े के पास दीपक लगाने की परंपरा का महत्व
रूप चौदस के दिन घर के बाहर, जहां कूड़ा-कचरा डाला जाता है, वहां दीपक जलाने की परंपरा भी प्रचलित है। यह प्रथा इस मान्यता से जुड़ी है कि लक्ष्मी जी की बड़ी बहन दरिद्रा गंदगी और दरिद्रता की प्रतीक हैं। इसलिए घर की सफाई कर दरिद्रता को बाहर निकालना और दीपक जलाकर उसका सम्मानपूर्वक निष्कासन करना शुभ माना जाता है।

इस वर्ष रूप चौदस या छोटी दिवाली 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी। दीपदान के लिए शुभ मुहूर्त रात 11:41 से 12:31 बजे तक रहेगा। कहा जाता है कि इस समय दीपदान करने से व्यक्ति को नरक के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

नरकासुर वध की कथा से जुड़ी परंपरा
कहते हैं कि इस दिन भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ दानव राजा नरकासुर का वध किया था, जिसने 16 हजार कन्याओं को कैद कर लिया था। कृष्ण ने उन सबको मुक्त कराकर बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश दिया। इसीलिए रूप चौदस को अंधकार से प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।

इस दिन घर में दीया जलाकर पूरे घर में घुमाने की भी परंपरा है। इससे घर से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।

लोकमत राजस्थान परिवार की ओर से आप सभी को छोटी दिवाली (रूप चौदस) की हार्दिक शुभकामनाएं!

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