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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: गिरफ्तारी से पहले देना होगा लिखित कारण, नहीं तो रिमांड होगी अवैध

सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Right to Liberty) की रक्षा को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि अब किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले उसे उसकी समझ में आने वाली भाषा में लिखित रूप से गिरफ्तारी का कारण बताना अनिवार्य होगा। यदि यह प्रक्रिया पूरी नहीं की जाती है, तो गिरफ्तारी और मजिस्ट्रेट द्वारा दी गई रिमांड — दोनों को अवैध माना जाएगा, और व्यक्ति को तुरंत रिहा करना होगा।

यह महत्वपूर्ण आदेश मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की दो-न्यायाधीशीय पीठ ने हिट एंड रन मामले की सुनवाई के दौरान दिया। यह फैसला अब संविधान के अनुच्छेद 21 और 22(1) के तहत हर नागरिक के मौलिक अधिकारों की व्यावहारिक सुरक्षा बन गया है।


लिखित कारण बताए बिना नहीं होगी गिरफ्तारी

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गिरफ्तारी से पहले लिखित कारण बताने की बाध्यता अब केवल विशेष कानूनों जैसे मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) या गैरकानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम (UAPA) तक सीमित नहीं रहेगी।
अब यह नियम भारतीय दंड संहिता (IPC) और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत आने वाले सभी अपराधों पर भी लागू होगा।

अर्थात् — सड़क हादसों, चोरी, वित्तीय विवादों या किसी सामान्य अपराध में भी गिरफ्तारी से पहले व्यक्ति को लिखित सूचना देना अनिवार्य होगा। यह व्यवस्था देश की सभी राज्य पुलिस और केंद्रीय जांच एजेंसियों पर समान रूप से लागू होगी।


न्यायालय ने कहा – यह केवल प्रक्रिया नहीं, संवैधानिक अधिकार है

बेंच ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 22(1) के तहत गिरफ्तारी का कारण बताना केवल औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक संवैधानिक अधिकार है जो नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करता है।
न्यायाधीशों ने टिप्पणी की —

“यह अधिकार केवल किताबों में लिखा शब्द नहीं है, बल्कि जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संविधान का जीवंत हिस्सा है।”

कोर्ट ने यह भी कहा कि आपातकालीन या अपवादिक परिस्थितियों में यदि पुलिस अधिकारी लिखित कारण तुरंत नहीं बता पाता, तो वह मौखिक रूप से जानकारी दे सकता है
हालांकि, व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने से कम से कम दो घंटे पहले लिखित कारण देना अनिवार्य होगा।


व्यक्तिगत स्वतंत्रता सर्वोपरि

अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यह फैसला किसी एक मामले तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे अब संवैधानिक मानक (Constitutional Standard) के रूप में लागू किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा —

“किसी भी लोकतांत्रिक समाज में नागरिक की स्वतंत्रता सर्वोपरि है। यदि राज्य किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करता है, तो उसे यह बताना होगा कि क्यों — यह केवल प्रक्रिया नहीं, बल्कि नागरिक अधिकारों का सार है।”


मुख्य बिंदु संक्षेप में:

  • गिरफ्तारी से पहले लिखित कारण देना अब अनिवार्य

  • बिना लिखित वजह गिरफ्तारी और रिमांड अवैध

  • सभी अपराधों और एजेंसियों पर लागू होगा नियम

  • अनुच्छेद 21 और 22(1) के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता को संवैधानिक सुरक्षा

  • मौखिक कारण केवल अपवादिक स्थितियों में मान्य, पर बाद में लिखित देना जरूरी