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अंता उपचुनाव: बेनीवाल की एंट्री से नरेश मीणा को मिलेगी ताकत, ओम बिरला पर लगाए गंभीर आरोप

अंता विधानसभा उपचुनाव का रण अब अपने चरम पर है। जैसे-जैसे 11 नवंबर की वोटिंग की तारीख करीब आ रही है, वैसे-वैसे सियासी माहौल गर्म होता जा रहा है। कांग्रेस, बीजेपी और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच मुकाबला अब दिलचस्प मोड़ ले चुका है। कांग्रेस की ओर से गोविंद सिंह डोटासरा ने जाट समुदाय को साधने की रणनीति के तहत मजबूत चुनावी चाल चली है, जिससे सीधा असर निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा के वोट बैंक पर पड़ सकता है।

वहीं, नरेश मीणा अब पूरी तरह एग्रेसिव मूड में नज़र आ रहे हैं। वे विधानसभा तक पहुंचने के मिशन के लिए अपनी ताकत को और बढ़ाने में जुटे हैं। इसी कड़ी में अब उनकी सियासी मुहिम को बड़ा सहारा मिलने वाला है — आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल से। जानकारी के अनुसार, बेनीवाल 8 नवंबर को अंता पहुंचकर नरेश मीणा के समर्थन में रैली करेंगे, जो उपचुनाव का माहौल पूरी तरह बदल सकती है।

राजनीतिक गलियारों में यह रैली ‘सियासी लंका दहन’ के रूप में देखी जा रही है, क्योंकि बेनीवाल की एंट्री न सिर्फ नरेश के लिए ताकतवर समर्थन साबित हो सकती है, बल्कि अंता की सियासत में कई पुराने समीकरणों को भी हिला सकती है।

इसी बीच, नरेश मीणा ने एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि “अंता की असली लड़ाई कोई और नहीं, बल्कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला खुद लड़ रहे हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि “बीजेपी प्रत्याशी मोरपाल सुमन को वसुंधरा राजे की सहमति से टिकट दिया गया है, जबकि ओम बिरला चाहते हैं कि कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया जीत जाएं।

नरेश का दावा है कि “बिरला का मकसद मोरपाल की हार के ज़रिए वसुंधरा राजे को नीचा दिखाना है। अगर मैं जीतता हूं और भाया हार जाते हैं, तो ओम बिरला उन्हें कांग्रेस ज्वाइन करवा देंगे।”

उनके इन आरोपों ने बीजेपी के भीतर हलचल मचा दी है। अब जब बेनीवाल की एंट्री होने वाली है, तो राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इससे नरेश मीणा के पक्ष में समीकरण बदल सकते हैं।

नरेश का कहना है कि “जनता हमें पूरा समर्थन दे रही है, और हम बड़े बहुमत से जीत रहे हैं।” अब देखना यह होगा कि अंता का यह उपचुनाव किसके लिए जीत की सीढ़ी और किसके लिए सियासी परीक्षा साबित होता है।