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ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी देखा तनोट माता का चमत्कार !

पहलगाम में आतंकी हमले की प्रतिकिया में भारतीय सेना द्वारा चलाये गये आपरेशन सिंदूर के पश्चात भारत पाकिस्तान के मध्य उपजे तनाव को देखते हुए भारत-पाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित तनोट माता मंदिर के पट्ट सुरक्षा को दृष्टिगट रखते बंद किये गये थे।दोनों देशों बीच हुए सीजफायर के फैसले बाद शांतिपूर्ण माहौल को देखते हुए सीमा सुरक्षा बल ने फिर से दर्शनार्थियों के दर्शन के लिए माता के दर्शन के लिए मंदिर के पट खोल दिये है।विश्व विख्यात शक्तिपीठ तनोट माता मंदिर में सीमा सुरक्षा बल के जवानों द्वारा माता रानी की विशेष आरती का आयोजन किया गया इस दौरान बीएसएफ DIG नार्थ योगेंद्र सिंह राठौड़ ने आरती में शामिल होकर देश में अमन चैन और खुशहाली कि कामना की साथ ही अन्य अधिकारीगण भी उपस्थित रहे। मातेश्वरी तनोटराय के दरबार में माथा टेकने आए श्रद्धालुओं ने बताया कि माता रानी के प्रति जन जन की गहरी आस्था है। हमने आज तक सुना ही था की माता रानी स्वयं सीमा पर रक्षा के लिए तैनात है। लेकिन इस मर्तबा हमने प्रत्यक्ष रूप से माता के चमत्कार कों महसूस किया है। जिस प्रकार सन 1965 और 1971 में भारत पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान द्वारा मंदिर पर फेंके गये हजारों बम मे से एक भी नहीं फटा था। ठीक उसी प्रकार “ऑपरेशन सिन्दूर” के दौरान पाकिस्तान द्वारा किये गये तमाम प्रयास विफल नज़र आए। क्योंकि दुश्मन देश ने हम पर ड्रोन और मिसाइलो के माध्यम से हमने किये लेकिन माता रानी के आशीर्वाद स्वरुप भारतीय सेना की वायु सुरक्षा तंत्र ने उन्हे आसमान में ही नेस्तनाबूत कर दिया। तनोट माता मंदिर के पुजारी रवि शेखर उपाध्याय ने कहा कि सन 1965 व 1971 के युद्ध के दौरान मंदिर परिसर में 3000 से भी अधिक बम पूरे इलाके में गिराये गये थे लेकिन मातरानी की कृपा से एक भी नहीं फटा था। ठीक उसी प्रकार “ऑपरेशन सिन्दूर” के दौरान भी पाकिस्तान की ओर ड्रोन और कई प्रकार के हमले पूर्णरूप से विफल हुए जिससे सिद्ध होता है कि तनोट माता की शक्ति उसी स्थिति में आज भी यहां पर मौजूद है। उसी का परिणाम है कि पाकिस्तान द्वारा किये गये ड्रोन एवं मिसाईल हमलो के दौरान एक भी बम जैसलमेर जिले कि परिधि में नहीं फटा सभी हमलो कों भारतीय सेनिको ने अपने पराक्रम के जरिये नाकाम कर दिया। सीमा सुरक्षा बल के उपमहानिरीक्षक ने कहा कि ऑपरेशन सिन्दूर के समय उपजे तनाव कों दृष्टिगत रखते हुए मातारानी के मंदिर के पट्ट कों आमजन के लिए बन्द कर दिये गये थे। लेकिन अब हालात सामन्य होने पर आम श्रद्धालुओं के लिए पुनः खोल दिये गये है। उन्होंने कहा कि देश की सीमाओं की रक्षा करना भारत की प्रथम रक्षा पंक्ति “सीमा सुरक्षा बल” का प्रथम कर्तव्य है। और हम उस परीक्षा पर हमेशा खरे उतरते रहे है और भविष्य में भी उसी जोश और भरोसे के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करते रहेंगे।